गंगा घाटों का एक बहुत ही धार्मिक महत्व अनादिकाल से रहा है। भारत के अनेक प्रसिद धार्मिक स्थल गंगा घाटों के किनारे स्थित है जैसेकि वाराणसी, ऋषिकेश, हरिद्वार इत्यादि। इन गंगा घाटों पर अनेक सभ्यताए बिकसित हुई है और मानव जीवन अनबरत गंगाजी की अविरल धारा की तरह प्रवाहित होता रहा है। प्रस्तुत लेख में इन भारत के प्रसिद्ध गंगा घाट के बारे मे विस्तार से पढ़िए।
मणिकर्णिका घाट, वाराणसी
मणिकर्णिका घाट वाराणसी के सुप्रसिद्ध घाटों में से एक है है जिनका भ्रमण करने देश विदेश से श्रद्धालु और सैलानी यहाँ आते है यह घाट वाराणसी के अन्य घाटों से थोड़ा भिन्न है अतः यहाँ आपको अन्य घाटों को तरह स्नान या फिर अन्य तरह की गतिविधियां देखने को नहीं मिलेंगी क्युकी यह घाट वाराणसी का मरमुख शमशान है जिसे महा शमशान के नाम से भी जानते है यहाँ पर देश विदेश से लाये गए शवों का दाह संस्कार किया जाता है एवं ऐसा माना जाता है की यहाँ लाये गए पार्थिव शरीरों को दाह संस्कार के बाद सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन और मृत्यु के चक्र से छुटकारा पाते है
इस घाट का उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी देखने को मिलता है ऐसा माना जाता है की की एक बार भगवान् शिव अपनी पत्नी के साथ इस घाट के समीप विचरण कर रहे थे तभी उनके कान की बाली यहाँ गुम हो गयी और भगवान् शिव उसे ढूढ़ने के लिए काफी जातां करने पड़े जिसके बाद उन्हें वह कान की बाली मिली और देवी पार्वती यह देखकर अत्यंत खुश हुई तभी से भगवान् शिव ने यह आशीर्वाद दिया की यहाँ आकर जो व्यक्ति अपने जीवन की अंतिम यात्रा पूरी करेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी
तभी से यहाँ लोग दाह संस्कार और मृत्यु सम्बंधित रीति रिवाज़ो को पूर्ण करने लगे यहाँ कई दफा तो लोग प्लेन का सफर तय करके शवों को अंतिम यात्रा के लिए यहाँ लाते है और ऐसा मन जाता हैकि इस शमशान की अग्नि तब से लेकर आज तक एक पल के लिए भी कभी शांत नहीं हुई।
यहाँ वाराणसी के लोगों में यह मान्यता है की जब भी लोग यहाँ दाह संस्कार के लिए आते है वह यहाँ एक उत्सव के रूप में पधारते है और मृत्यु संस्कार पूर्ण करने के बाद वह शव यात्रा में आये हुए लोगों के लिए खाने पीने का इंतज़ाम भी करते है
सोरों घाट , उत्तर प्रदेश-भारत के प्रसिद्ध गंगा घाट
सोरों घाट उत्तर प्रदेश का प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ हर साल लाखों लोग माँ गंगा में स्नान कर खुद को पावन करने आते है, यह तीर्थ स्थल शूकर छेत्र के रूप में प्रसिद्द है जोकि उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले से कुछी दूरी पैर है , वैसे तो यहाँ हर वक़्त लोगों का आना जाना लगा रहता है पैर कुछ खास तिथियों पैर यहाँ अधिल से अधिक संख्या में गंगा स्नान के लिए आते है।
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यहाँ की विशेषता है की सोरों घाट स्थित कुंड जिसे की हाड गंगा भी बोला जाता है वहां लोग दूर दूर से अस्थियां विसर्जन के लिए आते है अथवा यहाँ के पाने में चमत्कारिक शक्ति है जो की यहाँ सिर्फ तीन दिन तक अथिया रहने के बाद पानी में घुल जाती ह।
यहाँ कार्य करने वाले पण्डे और पुरोहित विश्वविख्यात है इन पंडो के पास पीड़ी दर पीड़ी लोगों के जीवन मरण का विवरण रहता है और वहां जाने पर आपको अपनी पीड़ी दर पीड़ी के नाम पते और पूरा विवरण मिल सकता है। यहाँ आकर आप गंगा स्नान करके बारह भवन मंदिर,रघुनाथ जी मंदिर और सीतारमण जी मंदिर का भरमान कर सकते है , यहाँ आने के लिए आपको सभी बड़े शहरों से टैक्सी बस एवं अन्य तरह के यातायात उपलब्ध है
कछला घाट ,उत्तर प्रदेश – भारत के प्रसिद्ध गंगा घाट
कछला घाट सोरों घाट के समीप ही बसा हुआ एक अन्य घाट है जहाँ हजारो लोगों अपने परिवार के साथ गंगा स्नान के लिए आते है यह गंगा घाट काफी स्वक्ष और निर्मल है अथवा यहाँ आकर लोग सोरों घाट की तरह अस्थि विसर्जन नहीं करते बल्कि अपने ख़ास अवसरों एवं ख़ास मुहूर्तों पर गंगा में स्नान करके माँ गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करते है यह घाट भी कासगंज जिले के अंतर्गत आता है , यहाँ की प्रसिद्ध चने की चाट जो की घाट के समीप और गंगा पल पर मिलती है जिसका स्वाद लाजवाब है आप जब भी यहाँ एक बार अवस्य खाकर जाए, अगर बात खाने पीने की हो तो वैसे तो यहाँ कई छोटे बड़े ढाबे है पर अगर आप एक साफ़ और स्वादिष्ट भोजन कीतलाश में है तो “मराठा ढाबा” आपके लिए बेहतर विकल्प है , यहाँ आने वाले लोग ज्यादातर आस पास के गाओं और शहरों से ही है अथवा वो लोग अपना खुद का भोजन तैयार करके लाते है और फिर गंगा घाट पैर बैठकर इत्मीनान से खाते है कुछ लोग लकड़ी के चले जलाकर अपना भोजन गंगा किनारे तैयार करते है और कई मर्तवा आपको यहाँ बड़ी बड़ी दावतों का आयोजन भी देखने को मिलता है
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हर की पौड़ी, हरिद्वार – भारत के प्रसिद्ध गंगा घाट
यह गंगा घाट विश्वविख्यात घाट है जहाँ करोड़ों की तादात में लोग विश्व भर से इस देव भूमि के दर्शन करने आते है ,यह घाट उत्तराखंड राज्य के धार्मिक नगरी हरिद्वार में स्थित है , इस घाट की लोकप्रियता पर्यटन के लिहाज से भी बहुत है यहाँ पर्यटक भी अधिक तादात में आता है और हर वर्ष होने वाले चार धाम यात्रा के समय लोग इसी घाट से स्नान करके अपनी यात्रा शुरू करते है इस नगरी के इतिहास कुम्भ मेले जो की दुनिया के सर्वाधिक जनसख्या वाला पर्व से भी जुड़ा हुआ है ये भारत के उन चार जगहों में से एक है जहाँ कुम्भ मेले का आयोजन होता है हर की पौडी वो पहला स्थान है जहाँ माँ गंगा पहाड़ों से निकलकर जमीन पैर आती यही और कोलकाता तक २६०० किलोमीटर की यात्रा करती है। इस स्थान को ब्रह्मकुंड भी कहा जाता है
यहाँ हर सुबह और शाम माँ गंगा की भव्य आरती की जाती है जिसका आनंद लेने लोग मंदिरो की सीढ़ियों पर और गंगा घाट पैर एकत्र हो जाते है और शुद्ध वातावरण में खुद को तरोताज़ा करते है , यहाँ गंगा का वेग काफी अधिक होता है और लोग चैन के सहारे से किनारे पैर गंगा स्नान का आनंद प्राप्त करते है और घाट पर स्थित विभिन्न मंदिरों का विचरण करते है।यहाँ घूमने के लिए वैसे तो सभी मौसम में लोग आते है लेकिन यहाँ ज्यादातर लोग मार्च से जून सप्ताह के बीच आते है जब गंगा स्नान का अलग ही आनंद है
पत्थर घाट , कानपुर
कानपुर गंगा किनारे बसा हुआ एक बड़ा शहर है जहाँ के धार्मिक स्थल बिठूर के समीप बना नए पत्थर घाट वहां के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है इस घाट कको टिकैत राय ने अपने पैसे से बनवाया था इस भवन का संपूर्ण निर्माण लाल पत्थर द्वारा किया गया है, यहां आज भी ज्यादातर लोकल पर्यटक और बाहरी पर्यटकों का जमावड़ा रहता है और ये जगह घूमने के लिए एक दम वाजिफ है। इस घाट पर नियमित तौर पर आरती की जाती है जिसमे बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते है। इस घाट पर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है जहाँ लोग नियमित पूजा पाठ करने आते है। ऐसा माना जाता है की यहाँ जो भी मनोकामना मांगी जाती है उसे भगवान् शिव पूर्ण करते है
पांचाल घाट, फरुक्काबाद
पांचाल घाट उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित फरुक्काबाद शहर में स्थित है , वैसे तो इस शहर को लोग मुग़ल शाशक फारुख सियार के नाम से जानते है पर यहाँ का इतिहास महाभारत कालीन है इस शहर को प्रसिद्द पांचाल नगरी के नाम से जाना जाता था ऐसा मानते है कि पांचाल नगर की राजकुमारी पांचाली जिसे द्रोपदी के नाम से भी जानते है ने यहाँ फरुक्काबाद स्थित प्रसिद्द घटिआ घाट पर ही पाण्डवों से विवाह किया था जिसका नाम बाद में बदलकर पांचाल घाट कर दिया गया।
हर वार यहाँ दिसंबर जनवरी के महीने में एक बड़ा आयोजन किया जाता है जो की लगभग एक महीने तक चलता है जिसे राम नागरिया के नाम से जाना जाता है इस मेले में हजारों लोग यहाँ आकर माँ गंगा की पूजा अर्चना करते है एवं गंगा घाट पर स्नान करते है यहाँ आकर आप विभिन्न प्रकार की प्रथाओं का चलन भी देख सकते है जिनमे से एक है साड़ी बाँधने की प्रथा यहाँ लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर अलग अलग रंगो को साड़ी बांधते है।
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त्रिवेणी घाट, ऋषिकेश – भारत के प्रसिद्ध गंगा घाट
त्रिवेणी घाट ऋषिकेश का बहुत ही प्रसिद्द घाट है जहाँ हर वर्ष लाखों की तादात में श्रद्धालु और पर्यटक गंगा स्नान के लिए पहुँचते है हरिद्वार से निकलकर जब गंगा ऋषिकेश पहुँचती है तब यहीं आकर गंगा अपने वेग , धार और गति को नियंत्रित करती है , यहाँ की पहाड़ियों के मंत्रमुग्ध दृश्य आपको तरोताज़ा कर देते है ये बहुत ही रमणीक स्थल है जहाँ कई दार्शनिक मंदिर है और नियमित तौर पर अन्य प्रमुख घाटों की तरह यहाँ प्रतिदिन सुबह और शाम भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है
यहाँ आपको हर तरह के दृश्य देखने को मिलते है जिनमे जन्म से लेकर मृत्यु तक होने वाले हिन्दू रीति रिवाज़ों का समागम होता है , इस घाट पर स्नान करने का अलौकिक आनंद है जहाँ आपके सामने पहाड़ सी घिरे दृश्य , हरियाली और पहाड़ों के पीछे से निकलता सूरज आपको हृदयप्रिय अनुभव कराता है। लोगों का ऐसा मानना है की इस घाट पर भगवान् कृष्ण ने भी भ्रमण किया था जब उन्हें शिकारी ने पैर में तीर मार दिया था। इस घाट के आस पास आपको अन्य होटल और धर्मशालाओं में टहरने की उचित व्यवस्था मिल जाती है और यहाँ के बाजार यहाँ का मुख्या आकर्षण है
संगम घाट , प्रयागराज – भारत के प्रसिद्ध गंगा घाट
त्रिवेणी संगम घाट उत्तर भारत का प्रसिद्द तीर्थ स्थल है जहाँ हर वर्ष करोड़ों श्रद्धालु गंगा घाट पर होनी मान्यताये पूरी करने आते है , इस घाट का इतिहास समुद्र मंथन के समय से जुड़ा हुआ है जब देवता और दानवों ने साथ मिलकर समुद्र का मंथन किया था और वहां से जो अमृत निकला था जिसके लिए देवता और दानवों में भयंकर युद्ध हुआ था उस अमृत कलश को ले जाते समय उसकी कुछ बुँदे प्रयागराज स्थित संगम घाट पर गिरी थी तब से आज तक यहाँ कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है जहाँ देश विदेश से करोड़ों श्रद्धालु इस पावन नगरी के दर्शन करने आते है, प्रयागराज शुरू से ही धर्म और दान पुण्य की नगरी कहा जाता है यहाँ कई बड़े राजा आकर संगम घाट के किनारे प्रवास करते थे एवं दान पुण्य करते थे ऐसा कहा जाता है की महान राजा बलि यहाँ आकर अपना सब कुछ त्याग कर जाते थे और वापस लौटते वक़्त उनके तन पर कपडे तक नहीं होते थे।
संगम घाट की मुख्य विशेषता
इस घाट को संगम घाट इसलिए बोलै जाट है क्युकी यहाँ भारत की तीन प्रमुख नदिया गंगा , जमुना और सरस्वती का संगम होता है जो की आज तक साफ़ तौर पर नदी के बीचो बीच जाकर आपको साफ़ नज़र आता है जहाँ एक और से गंगा जो की पीले रंग की होती है अथवा यमुना जो की हरे रंग के पानी में होती है सरस्वती नदी इन दोनों के बीच बहती है जो की ऊपर से आप नहीं देख सकते है
यहाँ नदी किनारे हनुमान जी का प्रसिद्द मंदिर है जिनकी प्रतिमा लेते स्वरुप में है, मुग़ल बादशाह अकबर द्वारा बनाया गया प्रसिद्द अल्लाहाबाद फोर्ट भी इसी घाट के किनारे बना हुआ है जिसे लोग देखने दूर दूर से आते है
दशास्वमेध घाट , वाराणसी
वाराणसी को भारत के सबसे प्राचीन शहर का दर्जा प्राप्त है ये साक्षात् शिव की नगरी है जहाँ भगवान् काशी विश्वनाथ स्वयं गंगा घाट के किनारे विराजमान है यहाँ का प्रसिद्द काशी विश्वनाथ मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्द है एवं भगवान् शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है , यहाँ हर वर्ष करोड़ों श्रद्धालु इस पावन नगरी के दर्शन के लिए आते है जो की साक्षात् भगवान् शिव और माँ गंगा के घाट पर आकर खुद को पापमुक्त करते है , वाराणसी के लोगों के जीवन का एक प्रमुख हिस्सा है वाराणसी के घाट यहाँ लगभग १०० से ऊपर बहुत ही सुन्दर घाट गंगा नदी के किनारे बसे हुए है जिनमे प्रमुख है दशास्वमेध घाट , इस घाट का वर्णक कई धार्मिक ग्रंथो में लिखा हुआ है अथवा ये भी माना जाता है की त्रिदेव भगवान् ब्रह्मा ने यहाँ खुद आकर भगवान् शिव की आराधना एवं यज्ञ किया था जब वह अपने एवं अपने दस घोड़ों का त्याग उन्होंने हवन की अग्नि में इसी घाट पर किया था तभी से इसे दशश्वमेध घाट के नाम से जान जाता है।
यहाँ प्रतिदिन माँ गंगा की विशेष आरती का आयोजन किया जाता है जिसे देखने देश विदेश से लोग आते है यहाँ की अलौकिक छठा जहाँ आपको लाखों जलते दिए , मदिरों में बजते घंटे और संखनाद ,नदी में तैरती नाव और संस्कृत एवं हिंदी में मन्त्रों का उच्चारण आपके मन को शुद्ध कर देता है यहाँ आपको विभिन्न प्रकार के आयोजन समय समय पर देखने को मिलते है जिनमे आकर के लोकल एवं देश विदेश के ख्याति प्राप्त कलाकार आकर अपनी प्रस्तुति देते है जिनमे से प्रमुख उत्सव है ‘गंगा महोत्सव ‘
विश्राम घाट ,मथुरा
विश्राम घाट मथुरा शहर में यमुना किनारे बसा हुआ बहुत ही पौराणिक स्थल है जहाँ लोग आज भी बड़ी तादात में आकर नौका विचरण और धर्मिक स्थलों और मंदिरों का भ्रमण करते है और यहाँ स्नान करने से मानव को पापों से मुक्ति मिलती है
विश्राम घाट मथुरा के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है जहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालु आकर धार्मिक रीति रिवाज़ों का अनुपालन करते है इस घाट की प्रमुख विशेषता है की मथुरा में होने वाली सभी धार्मिक परिक्रमा विश्राम घाट से शुरू होकर इसी घाट पर ख़त्म होती है और यहाँ हर वक़्त आपको धार्मिक आयोजनों का समागम मिलेगा।
विश्राम घाट की कहानी कुछ इस प्रकार है की जब मथुरा आकर अपने मां दानव कंस का वध किया था उसके उपरांत इसी विश्राम घाट पर आकर भगवान् श्री कृष्णा ने विश्राम किया था उसी प्रकार आज भी श्रद्धालु और पर्यटक इस घाट पर आकर विश्राम करते है
इस घाट के चारों तरफ बहुत ही प्राचीनएवं सुन्दर मंदिर बने हुए है जिनमे प्रमुख है मुकुट मंदिर, राधा दामोदर मुरली मनोहर मंदिर, यमुना कृष्णा मंदिर एवं नीलकंठेश्वर मंदिर ,यहाँ नौका विहार का भी अपना अलग ही आनंद है ।
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